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मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री के विरोध में मनसे उतरेगी उम्मीदवार : राज ठाकरे

2009 में 230 तो इस बार करीब 225 सीटों पर मनसे के उम्मीदवार मैदान में होंगे


समीर वानखेड़े महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे विदर्भ दौरे पर हैं। विधानसभा चुनाव के पहले वह पार्टी संगठन को मजबूत करना चाहते हैं, जिसको लेकर वह तमाम जिलों का दौरा कर रहे है। ठाकरे ने राज्य की 230 सीटों से चुनाव लड़ने की बात कही है। जिसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि, क्या ठाकरे फडणवीस के खिलाफ भी अपना उम्मीदवार देंगे। इन चर्चाओं और सवाल पर राज ठाकरे ने बड़ा बयान दिया है।

विदर्भ दौरे के तहत ठाकरे शनिवार को नागपुर पहुचे। जहां उन्होंने रवि भवन में पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत की। जहां राज्य से जुड़े हुए कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। विधानसभा की कितनी सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर पूछे सवाल पर जवाब देते हुए ठाकरे ने कहा कि, “राज्य के सभी जिलों में उनकी स्क्रीनिंग टीम मौजूदा है। और उम्मीदवारों के चयन का काम किया जा रहा है। 2009 में हमने 230 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी हम लगभग 225 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।”
वहीं जब नागपुर की छह सीटों सहित देवेंद्र फडणवीस के सामने उम्मीदवार उतरने का सवाल किया गया तो ठाकरे ने जवाब देते हुए कहा कि, “हम नागपुर की सभी छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे।” जिसके तहत उपमुख्यमंत्री फडणवीस के सामने भी मनसे अपना उम्मीदवार उतारेगी।

विधानसभा में जनता सिखयेगी सबक
राज्य में पिछले पांच साल में हुई राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर बोलते हुए मनसे प्रमुख ने कहा, “बीते पांच साल में राज्य की जनता के साथ जो प्रतारणा हुई है। वह जनता भूली नहीं है। राज्य की राजनीति में दलदल हो चुका है। पिछले 50 साल में राज्य में यह स्थिति नहीं हुई और न जनता ने इसे देखा। जनता इसे भूलेगी नहीं और इसका गुस्सा आगामी विधानसभा चुनाव में जनता जरूर निकालेगी।”
शरद पवार जातिवादी राजनीति के जनक
ठाकरे ने राज्य में मराठा और ओबीसी समाज में शुरू विवाद को लेकर शरद पवार पर हमला बोला। पवार को महाराष्ट्र में जातिवादी राजनीति का जनक बताते हुए ठाकरे ने कहा कि, “1991 से जब से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनी है तब से इस राज्य में जाती की राजनीति शुरू हुई। पहले नेताओं और पार्टियों को तोडा, फिर जाती के नाम पर लड़ाया गया।” उन्होंने आगे कहा, “इसके पहले किसी भी महापुरुषों को जाती के नाम से नहीं जाता था, लेकिन पवार की राजनीति के कारण महापुरुषों को जाती के नाम पर बांट दिया गया।”

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